George everest and wishing well


     जार्ज एवरेस्ट  (George everest )
  सर जॉर्ज एवरेस्ट का जन्म 4 जुलाई 1790 इंग्लैंड में हुआ था। वह भारत मे सन् 1806 में आए । सर जॉर्ज एवरेस्ट एक सर्वेक्षक और भौगोलिक थे। वह 1830 से 1843 तक  भारत के सर्वेयर जनरल के पद पर रहें। सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नाम भी सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर ही पड़ा है।
         सन् 1832 में उन्होंने एक जगह खरीदी उस जगह का नाम था "द पार्क" जो हाथी पांव मसूरी में स्थित है। यह जगह उन्होंने जनरल "विश" से खरीदी थी। फिर उन्होंने अपना घर और प्रयोगशाला वहीं पर बनाई ।यह जगह गांधी चौक से 6 किलोमीटर दूर है।
        उनका घर जिस जगह पर बना है वहां से आप प्राकृतिक दृश्य दून घाटी, अलगाड नदी, और बर्फ से ढके हिमालय पर्वत देख सकते है।
        अब यह जगह पर्यटक स्थल के रूप में जानी जाती है और बड़ी तादात में पर्यटक यहां घूमने आते हैं। यह जगह लोगों को खुशी और शांति का एहसास कराती है।

Click here for video - https://youtu.be/RE9SUVUnaF4

द "विशिंग वेल " (The wishing well )
      द "विशिंग वेल" सन् 1829 में जनरल "विश" द्वारा "द पार्क" (जगह का नाम) पर बनाया गया था जो मसूरी मे है। कई दशकों तक यह कुआं इस जगह के लोगों की प्यास बुझाता रहा। बाद में यह सर जॉर्ज एवरेस्ट की निगरानी में रहा और यहां से पानी उनके घर तक पहुंचाया जाता था।
         विशिंग वेल का नाम जनरल विश के नाम पर ही पड़ा । बाद में कहा जाने लगा अगर दो प्रेमी आपस में अपनी अंगूठियां बदलकर कुंए में फेके और कोई मनोकामना मांगे तो वह पूर्ण हो जाती है या अगर कोई कुएं की तरफ पीठ  करके कुएं में सिक्का फेंकता है और कुछ मनोकामना मागता है तो वहां पूरी हो जाती है।
      पर यह मनोकामना पूर्ण होती है या नहीं यह अलग बात है। पर यह कुआं अभी भी यहां के लोगों की प्यास बुझाता है।
   

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